‘PMO की शाखा गुजरात में खोल देनी चाहिए’, अशोक गहलोत का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बार-बार राज्य की यात्रा करने के मद्देनजर प्रदेश में पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) का एक अस्थायी कार्यालय बना देना चाहिए.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बार-बार राज्य की यात्रा करने के मद्देनजर प्रदेश में पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) का एक अस्थायी कार्यालय बना देना चाहिए. राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत ने यहां संवाददाता सम्मेलन में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल पर भी तंज कसते हुए कहा कि हावभाव और बोलने की शैली के मामले में वह ‘मोदी के भाई’ जैसे लगते हैं. उन्होंने गुजरात में चुनाव प्रचार पर आप द्वारा खर्च किये जा रहे धन के स्रोत पर भी सवाल उठाया.

मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल विधानसभा चुनावों से पहले बार-बार गुजरात का दौरा कर रहे हैं, जबकि कांगेस नेता राहुल गांधी की अनुपस्थिति सुस्पष्ट है. गुजरात चुनावों के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक गहलोत ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश चुनावों में जीत मिलने के अगले ही दिन से गुजरात का दौरा करना शुरू कर दिया था. दिल्ली (केंद्र) में कामकाज प्रभावित हो रहा है. उन्हें पीएमओ का एक अस्थायी कार्यालय गुजरात में खोल देना चाहिए, ताकि कामकाज सुगमता से चलता रहे.”

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री बहुत व्यस्त व्यक्ति होते हैं. उन्हें बार-बार राज्य का दौरा क्यों करना चाहिए? उनका नाम भर ही पर्याप्त है. क्या यह छोटी बात है कि इस राज्य के नेता प्रधानमंत्री हैं? (केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह भी यहां डेरा डाल रहे हैं.” कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी और शाह के कार्यक्रम को सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है, जबकि भाजपा के पास संसाधनों की कमी नहीं है.

गहलोत ने आरोप लगाया, ‘‘जिस तरह से संविधान को रौंदा जा रहा है, लोकतंत्र खतरे में है, देश उस बारे में चिंतित है. प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री के कार्यक्रमों पर जिस तरह से धन खर्च किया जा रहा है…वे चुनाव जीतने के लिए सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर रहे हैं. ” उन्होंने चुनावी बॉन्ड को एक बड़ा घोटाला बताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के खतरे में होने के कारणों में से एक है. उन्होंने सवाल किया कि यदि सारा धन एक पार्टी के पास जाएगा और अन्य पार्टी के पास कोई धन नहीं होगा तो उन्हें समान अवसर कैसे मिलेगा.